नई प्राइवेसी पॉलिसी पर सुप्रीम कोर्ट ने फेसबुक और वॉट्सऐप को भेजा नोटिस
एक जनहित याचिका में कहा गया है कि वॉट्सऐप और फेसबुक की नई प्राइवेसी पॉलिसी से लोगों की निजता का हनन हो रहा है और डेटा लीक किया जा रहा है. आरोप लगाया गया है कि वॉट्सऐप और फेसबुक यूरोप के लिए अलग मापदंड रखते हैं और भारत के लिए अलग नियम हैं, ये सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने दोनो कंपनियों से जवाब तलब किया है.
गौरतलब है कि कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने आरोप लगाया कि WhatsApp ने ‘माई वे या हाई वे’ के दृष्टिकोण को अपनाया है, जो मनमाना, अनुचित, असंवैधानिक है. इसे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में स्वीकार नहीं किया जा सकता है. वॉट्सऐप व्यक्तिगत उपयोगकर्ता के डेटा को धोखे से इकट्ठा कर रहा है. भारत में अपने लॉन्च के समय, वॉट्सऐप ने उपयोगकर्ताओं को डेटा और मजबूत गोपनीयता सिद्धांतों को साझा न करने के वादे के आधार पर आकर्षित किया.
इसे भी पढ़ें :- CAIT ने व्हाट्सऐप मुद्दे पर कहा-भारत के कानून से कोई नहीं कर सकता खिलवाड़
2014 में भी किए थे बदलाव
2014 में ही फेसबुक द्वारा वॉट्सऐप के अधिग्रहण के बाद, जब उपयोगकर्ताओं ने अपने डेटा की गोपनीयता पर संदेह करना शुरू कर दिया था. क्योंकि उन्हें भय था कि उनके व्यक्तिगत डेटा को फेसबुक के साथ साझा किया जाएगा. उस समय वॉट्सऐप ने वादा किया कि अधिग्रहण के बाद गोपनीयता नीति में कुछ भी नहीं बदलेगा. हालांकि, अगस्त 2016 में, वॉट्सऐप अपने वादे से पीछे हट गया और एक नई गोपनीयता नीति पेश की जिसमें उसने अपने उपयोगकर्ताओं के अधिकारों से गंभीर रूप से समझौता किया और उपयोगकर्ताओं के गोपनीयता अधिकारों को पूरी तरह से कमजोर कर दिया.
इसे भी पढ़ें :- कैट ने WhatsApp और Facebook के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका…!
वाणिज्यिक विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए डेटा का इस्तेमाल
नई गोपनीयता नीति के तहत, इसने वाणिज्यिक विज्ञापन और मार्केटिंग के लिए फेसबुक और इसकी सभी समूह कंपनियों के साथ व्यक्तिगत डेटा साझा किया. तब से कंपनी अपनी नीतियों में बदलाव कर रही हैं, ताकि सूचनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को इकट्ठा और संसाधित किया जा सके, और तीसरे पक्ष को डेटा दिया जा सके.