यूनीक कम्प्यूटर लैंग्वेज से की जाएंगी खेती, तेलंगाना सरकार ने शुरू की तैयारी

इस टेक्नोलॉजी में कृषि और तकनीक दोनो को एक कॉमन लैंग्वेज मिल सकती है. (सांकेतिक फोटो)
यह एआई इन एग्रिकल्चर (AI4AI) स्टेट गवर्मेंट की ओर से पहला हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट अलग अलग फॉर्मैट्स होंगे. जिसमें व्यक्तियों द्वारा किए गए एक्सपेरिमेंट्स, मशीन-जेनरेटेड, ओर प्रोसेस-मैनेज्ड डाटा होगा.
- News18Hindi
- Last Updated:
January 29, 2021, 3:05 PM IST
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का होगा यूज- यह एआई इन एग्रिकल्चर (AI4AI) स्टेट गवर्मेंट की ओर से पहला हिस्सा है. इस प्रोजेक्ट अलग अलग फॉर्मैट्स होंगे. जिसमें व्यक्तियों द्वारा किए गए एक्सपेरिमेंट्स, मशीन-जेनरेटेड, ओर प्रोसेस-मैनेज्ड डाटा होगा. यह बातें हर एक के समझ आ जाए इसलिए इसे ‘इंटरऑपरेबल’ स्टैंडर्ड को विकसित किया जाएगा, नहीं तो रिसचर्स ओर डाटा साइंटिस्ट के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम करना मुश्किल हो जाएगा.
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डाटा एक्सचेंज करने में लगा सबसे ज्यादा समय- प्रमोशनल ब्लॉग पोस्ट में, एग्री-टेक में काम करने वाली एक डिप-लर्निंग वाली कंपनी, हार्टफिल्ड ने डाटा-ड्रिवन खेती पर एक प्रोजेक्ट पर काम करते हुए भारत और जापान के डाटा साइंटिस्ट के सामने आने वाली समस्याओं को मेंशन किया. बिना डाटा इंटरऑपरेबल के साइंटिस्ट ने इसे डाउनलोड कर एक दूसरे को ईमेल कर इंफॉर्मेशन शेयर की लेकिन इससे पहले उन्हे अपने फेवरेट फ़ॉर्मेट में चेंज करने में बेहद समय लग गया. फ़ॉर्मेट को चेंज करना और क्लीनिंग करने में एक साइंटिस्ट का 80% टाइम इसी में स्पेंड हो जाता था, और एनालिसिस पर करीब 20 प्रतिशत समय लगा. यह भी पढ़ें: 5G सर्विसेज के लिए टेलिकॉम कंपनियों को मिलेगा स्पेक्ट्रम, रक्षा मंत्रालय और अंतरिक्ष विभाग ने खाली करने पर जताई सहमति
इस समस्या को हल करने के लिए तेलंगाना सरकार या तो इंटरऑपरेबल स्टैंडर्ड को विकसित कर सकती है या इस तकनीक को सेंटर द्वारा इस तकनीक को अपना सकती है. कहा जा रहा है कि ये सेंटर द्वारा इस स्टैंडर्ड को रिलीज़ करने के लिए पहले ही तैयार थी लेकिन covid 19 के कारण देरी हो गई.
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